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IITB

Archived Research Highlights

These articles have been created and published here by the R&D dissemination initiative of IRCC. To publish a summary of a recent high impact work from IIT Bombay, please follow the guidelines given in the there.

जैमर प्रूफिंग कम्युनिकेशन सिस्टम

A theoretical study from IIT Bombay can help make our military communication more robust

The security and reliability of communication systems used in military applications are uncompromisable. Jammers can disrupt radio communication in a locality; a strategy the military is shown to use while attacking terrorist camps in a recent movie. Knowing how jammers behave in various conditions becomes significant.

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कॅन्सर औषधि के लिए एक नया पोर्टर

Researchers from IIT Bombay have designed a protein-based carrier for delivering drugs into cancer cells.

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जोखिम मुक्त परिधेय स्वास्थ्य मॉनिटर

Scientists design low-power, low-cost wearable wireless devices to continuously monitor patient’s health indicators like ECG and EEG

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क्या भूमंडलीय ऊष्मीकरण पवन ऊर्जा उत्पादन को प्रभावित करेगा?

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (आईआईटी बी) का नया अध्ययन यह भविष्यवाणी करता है कि समुद्री तापमान का बढ़ना भारतीय अपतटीय पवन फार्म के लिए लाभदायक होगा।

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भारत का सौर सपना पूरा होने में क्या बाधाएं आ सकती हैं?

अध्ययन में फोटोवॉल्टिक मॉडयूल के क्षरण के लिए ज़िम्मेदार कारकों का पता लगा।

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वाहन चलाते हुए मोबाइल फ़ोन का प्रयोग: अब बस करो!

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (आईआईटीबी) के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन से सामने आया है कि वाहन चालन करते समय मोबाइल फोन का प्रयोग चालक का ध्यान वाहन-चालन से हटा देता है एवं सड़क पर होने वाली किसी भी खतरनाक स्थिति का सामना करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। अध्ययन के परिणामों में दिखाया है कि वाहन चलाते समय फोन पर वार्तालाप और पाठ-संदेश दोनों ही एक वाहन चालक के चालन निष्पादन को कम कर देती हैं।
 

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पेरोवस्काइट की वस्तुतः भौतिकी

भा.प्रौ.सं मुंबई के शोधकर्ताओं ने उन सभी अद्वितीय गुणों की पहचान की है जो सभी पेरोवस्काइट सौर कोशिकाओं में सामान्यतः देखे जाते हैं, जिससे हमें डिवाइस फिजिक्स और नियंत्रण मापदंडों के मामलों को बेहतर समझने में मदद मिलेगी।ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों में, सूर्य संभवतः हमारी भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने का सबसे बढ़िया स्रोत है। पहला फोटोवोल्टेइक सेल लगभग 60 साल पहले, 1954 में बेल लेबोरेटरीज में, बनाया गया था । तब से दक्षता में सुधार लाने और लागतों में कमी लाने के लिए एक बहुत बड़ा शोध किया गया है। फिर भी, सौर कोशिकाओं को अभी तक अपेक्षा के अनुरूप  लोकप्रियता और स्वीकृति नही

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चंद्रमा और उससे पार का लक्ष्‍य

चंद्रयान की कुशल ट्रेकिंग एवं प्रबंधन (मैन्‍यूवरिंग) मिशन की सफलता के लिए महत्‍वपूर्ण है ।  भा.प्रौ.सं मुंबई से एक कुशल एवं निम्‍न लागत ट्रेकिंग एल्‍गोरिथम इसका समाधान हो सकता है । मंगल आर्बिटर मिशन (एमओएम) जिसे मंगलायन के नाम से भी जाना गया, की हाल ही की सफलता अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एवं राष्‍ट्र की अनुसंधान क्षमताओं के लिए विशिष्‍ट उपलब्धि रही ।  अपनी सफलता की लहर को जारी रखने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ, इसरो दूसरे लूनर (चन्‍द्रमा संबंधी) मिशन, चंद्रायान-2 को वर्ष 2016 के अंत तक या 2017 के प्रारंभ में लांच करने की योजना बना रहा है ।  अंतरिक्ष मिशन किसी देश द्वारा किए जा सकने वाले सर्वाधिक प्र

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चार्जिंग अप फॉर ए फ्युचर

इनट्रिनसीकली कंडक्टिंग पॉलीमर्स (अंतर्निहित रूप से चालक बहुलक) (आईसीपी) के रासायनिक विश्‍लेषण में नई खोज से विभिन्‍न भावी अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्‍त पॉलीमर्स (बहुलकों) की आसानी से पहचान हो सकती है ।  भा.प्रौ.सं मुंबई के अनुसंधानकर्ताओं ने उनके आवेश संचयन (चार्ज स्‍टोरेज) अभिलक्षणों को परिमाणित करने के लिए एक नवीन एवं अधिक सरल प्रणाली प्रस्‍तुत की है ।  हमेशा आश्‍चर्य करते हैं कि विद्युत उपकरणों, बैटरियों, माइक्रोइलेक्‍ट्रानिक, विद्युत-चुंबकीय, व्‍यतिकरण परिरक्षकों (इन्‍टफरेंस शील्‍ड्स) और माइक्रोमशीनों को क्‍या जोड़ता है?  एक नया प्रौद्योगिकीय आश्‍चर्य है जिसे इनट्रिनसीकली कंडक्टिंग पॉलीमर

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